माँ की इच्छा..! रौंगटे खड़े कर देने वाली कविता...| Mother's Will | DevBhartiFun
रौंगटे खड़े कर देने वाली कविता...!!!
____________माँ की इच्छा___________
महीने बीत जाते हैं,
साल गुजर जाता है,
वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर,
मैं तेरी राह देखती हूँ।
____________माँ की इच्छा___________
महीने बीत जाते हैं,
साल गुजर जाता है,
वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर,
मैं तेरी राह देखती हूँ।
आँचल भीग जाता है
मन खाली खाली रहता है,
तू कभी नहीं आता,
तेरा मनि आर्डर आता है।
मन खाली खाली रहता है,
तू कभी नहीं आता,
तेरा मनि आर्डर आता है।
इस बार पैसे न भेज,
तू खुद आ जा,
बेटा मुझे अपने साथ,
अपने घर लेकर जा।
तू खुद आ जा,
बेटा मुझे अपने साथ,
अपने घर लेकर जा।
तेरे पापा थे जब तक,
समय ठीक रहा कटते,
खुली आँखों से चले गए,
तुझे याद करते करते।
समय ठीक रहा कटते,
खुली आँखों से चले गए,
तुझे याद करते करते।
अंत तक तुझको हर दिन,
बढ़िया बेटा कहते थे,
तेरे साहबपन का,
गुमान बहुत वो करते थे।
बढ़िया बेटा कहते थे,
तेरे साहबपन का,
गुमान बहुत वो करते थे।
मेरे ह्रदय में अपनी फोटो,
आकर तू देख जा,
बेटा मुझे अपने साथ,
अपने घर लेकर जा।
आकर तू देख जा,
बेटा मुझे अपने साथ,
अपने घर लेकर जा।
जन्म तेरा हुआ था,
तेरे दूध के लिए,
हमने चाय पीना छोड़ा था।
वर्षों तक एक कपडे को,
धो धो कर पहना हमने,
पापा ने चिथड़े पहने,
पर तुझे स्कूल भेजा हमने।
धो धो कर पहना हमने,
पापा ने चिथड़े पहने,
पर तुझे स्कूल भेजा हमने।
चाहे तो ये सारी बातें,
आसानी से तू भूल जा,
बेटा मुझे अपने साथ,
अपने घर लेकर जा।
आसानी से तू भूल जा,
बेटा मुझे अपने साथ,
अपने घर लेकर जा।
घर के बर्तन मैं माँजूंगी,
झाडू पोछा मैं करूंगी,
खाना दोनों वक्त का,
सबके लिए बना दूँगी।
झाडू पोछा मैं करूंगी,
खाना दोनों वक्त का,
सबके लिए बना दूँगी।
नाती नातिन की देखभाल
अच्छी तरह करूंगी मैं,
घबरा मत, उनकी दादी हूँ,
ऐंसा नहीं कहूँगी मैं।
अच्छी तरह करूंगी मैं,
घबरा मत, उनकी दादी हूँ,
ऐंसा नहीं कहूँगी मैं।
तेरे घर की नौकरानी,
ही समझ मुझे ले जा,
बेटा मुझे अपने साथ,
अपने घर लेकर जा।
ही समझ मुझे ले जा,
बेटा मुझे अपने साथ,
अपने घर लेकर जा।
आँखें मेरी थक गईं,
प्राण अधर में अटका है,
तेरे बिना जीवन जीना,
अब मुश्किल लगता है।
प्राण अधर में अटका है,
तेरे बिना जीवन जीना,
अब मुश्किल लगता है।
कैसे मैं तुझे भुला दूँ,
तुझसे तो मैं माँ हुई,
बता ऐ मेरे कुलभूषण,
अनाथ मैं कैसे हुई ?
तुझसे तो मैं माँ हुई,
बता ऐ मेरे कुलभूषण,
अनाथ मैं कैसे हुई ?
अब आ जा तू...
एक बार तो माँ कह जा,
हो सके तो जाते जाते,
वृद्धाश्रम गिराता जा।
एक बार तो माँ कह जा,
हो सके तो जाते जाते,
वृद्धाश्रम गिराता जा।
बेटा मुझे अपने साथ
अपने घर लेकर जा....!!!
अपने घर लेकर जा....!!!
●◇◇◇★○○○◇★◇○○○★◇◇◇●
अगर आप को सही लगा हो तो आप के पास जो भी WhatsApp/Facebook ग्रुप है उन सभी ग्रुप में कृपया 1 बार जरूर भेजे !
याद रखना...
माँ बाप उमर से नहीं..
" फिकर से बूड़े होते है..
कड़वा है मगर सच है "...
जब बच्चा रोता है , तो पूरी बिल्डिंग को पता चलता है,
मगर साहब ,
जब माँ बाप रोते है तो बाजु वाले को भी पता नही चलता है,
ये जिंदगी की सच्चाई है...
●◇◇◇★○○○◇★◇○○○★◇◇◇●
माँ बाप उमर से नहीं..
" फिकर से बूड़े होते है..
कड़वा है मगर सच है "...
जब बच्चा रोता है , तो पूरी बिल्डिंग को पता चलता है,
मगर साहब ,
जब माँ बाप रोते है तो बाजु वाले को भी पता नही चलता है,
ये जिंदगी की सच्चाई है...
●◇◇◇★○○○◇★◇○○○★◇◇◇●
Comments