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Showing posts from November, 2017

शिक्षक हूँ, पर ये मत सोचो, बच्चों को सिखाने बैठा हूँ...!! Sikshak Hun...Kavita

शिक्षक हूँ, पर ये मत सोचो, बच्चों  को  सिखाने  बैठा हूँ मैं   डाक   बनाने  बैठा  हूँ ,   मैं   कहाँ   पढ़ाने   बैठा हूँ कक्षा  में  जाने  से  पहले भोजन  तैयार  कराना है ईंधन का इंतजाम करना फिर  सब्जी लेने जाना है... गेहूँ ,चावल, मिर्ची, धनिया              का हिसाब लगाने बैठा हूँ              मैं  कहाँ  पढ़ाने  बैठा  हूँ ... कितने एस.सी. कितने बी.सी. कितने जनरल  दाखिले हुए कितने आधार बने अब तक कितनों  के  खाते  खुले हुए बस यहाँ कागजों में उलझा                निज साख बचाने बैठा हूँ                मैं  कहाँ  पढ़ाने  बैठा  हूँ ... कभी एस.एम.सी कभी पी.टी.ए की मीटिंग बुलाया करता हूँ सौ - सौ भांति के रजिस्टर हैं उनको   भी   पूरा  करता हूँ सरकारी  अभियानों में  मैं               ड्यूटियाँ  निभाने बैठा हूँ              मैं  कहाँ  पढ़ाने  बैठा  हूँ ... लोगों की गिनती करने को घर - घर में  मैं ही जाता हूँ जब जब चुनाव के दिन आते मैं  ही  मतदान  कराता  हूँ कभी जनगणना कभी मतगणना               कभी वोट बनाने बैठा हूँ               मैं  कहाँ  पढ़ाने  बैठा हूँ ... रोजाना 

औरत का सफर... | Lady's Journey...

औरत का सफर ... ★★★★★★★★★★★★ 😔बाबुल का घर छोड़ कर पिया के घर आती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ☺एक लड़की जब शादी कर औरत बन जाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 😔अपनों से नाता तोड़कर किसी गैर को अपनाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ☺अपनी ख्वाहिशों को जलाकर किसी और के सपने सजाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ☺सुबह सवेरे जागकर सबके लिए चाय बनाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 😊नहा धोकर फिर सबके लिए नाश्ता बनाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ☺पति को विदा कर बच्चों का टिफिन सजाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 😔झाडू पोछा निपटा कर कपड़ों पर जुट जाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 😔पता ही नही चलता कब सुबह से दोपहर हो जाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ☺फिर से सबका खाना बनाने किचन में जुट जाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ☺सास ससुर को खाना परोस स्कूल से बच्चों को लाती है.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 😊बच्चों संग हंसते हंसते खाना खाती और खिलाती है

मेरा  पत्र... देश  के  विद्यार्थियों  के  नाम | Mera Patra...Desh Ke Students Ke Naam...

मेरा  पत्र ... देश  के  विद्यार्थियों  के  नाम । एक  बार  इजराइल  देश  का  अपने  पडोसी  देश  से  लगातार  तीस  दिनो  तक  युद्ध  चलता  रहा ।इजराइल  सेनापति  ने  अपने  देश  के  प्रधानमन्त्री  को  फोन  किया - सर  हमारे  हजारों  सैनिक  शहीद  हो  चुके  हैं ।  अब  हमारी  सेना  मे  केवल  चालीस  हजार  सैनिक  लड़ रहे  हैं । दुश्मन  की  सेना  मे  लगभग  दो  लाख  सैनिक  हैं ।यदि  युद्ध  दो  दिन  और  चलता  रहा  तो  हमारी  हार  निश्चित  है ।  दुश्मन  अपने  देश  पर  कब्जा  करके  उसे  अपना  गुलाम  बना  सकता  है । इस  आपातकाल  मे  बडे  धैर्य  के  साथ  प्रधानमन्त्री  जी  ने  टी , वी  पर  केवल  देश  के  विद्यार्थियों  को  सम्बोधित  किया  -- डियर  स्टूडैन्टस्  ! हमारे  हजारों  सैनिक  युद्ध  मे  शहीद  हो  चुके  हैं । अब  सेना  मे  केवल  चालीस हजार  सैनिक  बचे  हैं । दुश्मन  के  पास  लाखों  सैनिक  हैं । हमारी  सेना  पीछे  हट  रही  है । देश  गुलाम  हो  सकता है । अब  केवल  आप  ही  देश  को  बचा  सकते हैं । आज  आपका  इजराइल  देश  आपको ,  आपकी  शक्ति ,  आपका  पराक्रम ,  आपका  खून और  आपका  बलिदान  मांग  रहा