शिक्षक हूँ, पर ये मत सोचो, बच्चों को सिखाने बैठा हूँ...!! Sikshak Hun...Kavita
शिक्षक हूँ, पर ये मत सोचो, बच्चों को सिखाने बैठा हूँ मैं डाक बनाने बैठा हूँ , मैं कहाँ पढ़ाने बैठा हूँ कक्षा में जाने से पहले भोजन तैयार कराना है ईंधन का इंतजाम करना फिर सब्जी लेने जाना है... गेहूँ ,चावल, मिर्ची, धनिया का हिसाब लगाने बैठा हूँ मैं कहाँ पढ़ाने बैठा हूँ ... कितने एस.सी. कितने बी.सी. कितने जनरल दाखिले हुए कितने आधार बने अब तक कितनों के खाते खुले हुए बस यहाँ कागजों में उलझा निज साख बचाने बैठा हूँ मैं कहाँ पढ़ाने बैठा हूँ ... कभी एस.एम.सी कभी पी.टी.ए की मीटिंग बुलाया करता हूँ सौ - सौ भांति के रजिस्टर हैं उनको भी पूरा करता हूँ सरकारी अभियानों में मैं ड्यूटियाँ निभाने बैठा हूँ मैं कहाँ पढ़ाने बैठा हूँ ... लोगों की गिनती करने को घर - घर में मैं ही जाता हूँ जब जब चुनाव के दिन आते मैं ही मतदान कराता हूँ कभी जनगणना कभी मतगणना कभी वोट बनाने बैठा हूँ मैं कहाँ पढ़ाने बैठा हूँ ... रोजाना