तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है...और तू मेरे गाँव को गवाँर कहता है...| Teri Buraiyon Ko Har Akhbar Kahta Hai...

ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है...!!

#तेरी_बुराइयों को हर #अख़बार कहता है,
और तू मेरे #गांव को #गँवार कहता है...
#ऐ_शहर मुझे तेरी #औक़ात पता है...
तू #चुल्लू_भर_पानी को भी #वाटर_पार्क कहता है...
#थक गया है हर #शख़्स काम करते करते...
तू इसे #अमीरी का #बाज़ार कहता है।
#गांव चलो #वक्त_ही_वक्त है सबके पास !!
तेरी सारी #फ़ुर्सत तेरा #इतवार कहता है...
#मौन होकर #फोन पर #रिश्ते निभाए जा रहे हैं...
तू इस #मशीनी_दौर को #परिवार कहता है...
जिनकी #सेवा में #खपा देते थे जीवन सारा,
तू उन #माँ_बाप को अब #भार कहता है...
#वो मिलने आते थे तो #कलेजा साथ लाते थे,
तू #दस्तूर निभाने को #रिश्तेदार कहता है...
बड़े-बड़े #मसले हल करती थी #पंचायतें...
तु अंधी #भ्रष्ट_दलीलों को #दरबार कहता है...
बैठ जाते थे #अपने_पराये सब #बैलगाडी में...
पूरा #परिवार भी न बैठ पाये उसे तू #कार कहता है...
अब #बच्चे भी #बड़ों का #अदब भूल बैठे हैं...
तू इस #नये_दौर को #संस्कार कहता है...
✍✍✍✍✍✍
पढ़ने के बाद मैं रोक न सका
और आप सभी के बिच समर्पित किया !!!
@Dev Bharti_Fun Page

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