ओम् नमः शिवाय!! तांडव है और ध्यान भी वो है,अज्ञानी का ज्ञान भी वो है!!

ना आदि,ना अंत उसका
वो सबका,ना इनका - उनका !
वही शुन्य है,वही इकाय
जिस के भीतर बसा शिवाय !


आँख मूंद कर देख रहा है
साथ समय के खेल रहा है !
महादेव महा एकाकी
जिसके लिए जगत है झांकी !

राम भी उसका,रावण उसका
जीवन उसका मरण भी उसका!
तांडव है और ध्यान भी वो है
अज्ञानी का ज्ञान भी वो है!

इसको काँटा,लगे न कंकर
रण मे रूद्र,घरो में शंकर!
अंत यही सारे विघ्नों का
इस भोले का पार भयंकर !

आग बहा तेरी रग में
है तुझसा कहाँ कोई जग में
है वक्त का तू ही तो पहला पहर
तू आँख जो खोले तो ढहाये कहर!

"जो शिव को चाहे उसे शिव चाहे
वही शून्य है वही एकाय
ओम् नमः शिवाय!"
हर हर महादेव...!!

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