छत्तीसगढ़िया सब ले बढ़िया...छत्तीसगढ़ी हास्य रचना...। एक बार जरूर पढ़हु।
छत्तीसगढ़ी - हास्य रचना...
सावन म करेला फूटे
गरमी म पसीना
देहाती ल कथें सुन्दरी
शहर के हसीना |
गरमी म पसीना
देहाती ल कथें सुन्दरी
शहर के हसीना |
शहर के हसीना संगी
मुश्किल कर दिस जीना
मुश्किल कर दिस जीना
देख के जवान टुरा मन
शुरू कर दिन पीना |
जब ले लगे फागुन महीना
टुरी मुचमुचात हे
मोबाइल म रात रात भर
आनी बानी गोठियात हे |
टुरी मुचमुचात हे
मोबाइल म रात रात भर
आनी बानी गोठियात हे |
पढाई म मन न ई लागय
कापी पुस्तक तिरियात हे
दाई ददा के कहे नी मानय
अब्बड़ सत्ती जात हे |
कापी पुस्तक तिरियात हे
दाई ददा के कहे नी मानय
अब्बड़ सत्ती जात हे |
का होगे जमाना ल संगी
ए ही समझ न ई आत हे
मुंह म कपड़ा बांध के टुरी
गाड़ी म कहाँ जात हे |
ए ही समझ न ई आत हे
मुंह म कपड़ा बांध के टुरी
गाड़ी म कहाँ जात हे |
अर्ज किया है,
यूँ ना मोड़ रूख हवाओं का,
कच्चा मेरा आशियाना है,
आर्डर दिया हूँ खपरा का,
परन दिन छवाना है...
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यूँ ना मोड़ रूख हवाओं का,
कच्चा मेरा आशियाना है,
आर्डर दिया हूँ खपरा का,
परन दिन छवाना है...
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